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धर्म एवं दर्शन >> भगवान श्रीराम सत्य या कल्पना

भगवान श्रीराम सत्य या कल्पना

श्रीरामकिंकर जी महाराज

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :77
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9556

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साधकगण इस प्रश्न का उत्तर हमेशा खोजते रहते हैं


परम पूज्य महाराजश्री ने सगुण लीला इस धरती पर 76 वर्षों तक की, और संप्रति वे श्रीराम की दिव्य भूमि, श्री अयोध्याधाम में सरयू के तट पर माँ जानकीजी की गोद में (रामायणम् धाम में) समाधिस्थ होकर अपने सतसंकल्पों और अधूरे स्वप्नों का ऐसा दिग्दर्शन कर रहे हैं; जिसमें दिव्य चेतना और उपस्थिति का दर्शन निकट और सुदूर बैठे हुए अनेक प्रेमी सुजनों-स्वजनों को उनका अनुभव, बोध भी हो रहा है।

उनमें से ऐसे सुजन पात्र हैं - श्रीमती अंजू एवं श्री अरुण गणात्रा (लन्दन स्थित परम पूज्य महाराजश्री के निष्ठावान् भक्त दम्पति) जो परम पूज्य महाराजश्री के चिंतन को व्यापक बनाने में समर्पित हैं। उन्हीं के योगदान से ये नयी पुस्तिकायें लपुरूप में छपी हैं। ताकि समय के मारे आज की भागदौड़ में लगे हुए मानव को अमृत की एक बूँद भी मिल जाये तो भी उसका कलिकाल में कल्याण हो जायेगा। परम पूज्य महाराजश्री के चरणों में प्रार्थना है कि उनकी ऐसी सद्बुद्धि, सुमति, सद्भाव और सद्विचार बने रहें।

रामायणमृ ट्रस्ट के सभी ट्रस्टीगण इस सद्कार्य में लोकमंगल के लिये समर्पित हैं। समाज के प्रत्येक वर्ग के सहयोग से, यह कठिन कार्य संभव हो पा रहा है, और यही सभी सुधी जनों से प्रार्थना है कि भविष्य में भी तन, मन, धन से आपका सहयोग निरंतर मिलता रहेगा, ऐसा विश्वास है।

आश्रमवासी सभी सेवकवृन्द अथक भाव से परम पूज्य महाराजश्री की सेवा में समर्पित हैं। श्री नरेन्द्र शुक्ल, श्री जयप्रकाश शुक्ल, श्री विनय शुक्ल, श्री टी. एन. अग्रवाल, श्री मुकेश शर्मा और श्री राधेश्याम को भी मेरा हार्दिक आशीर्वाद। अंत में परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान् के श्री चरणों में एक ही प्रार्थना-
हम चातक तुम स्वाति धन, अपनी बस यह आस।
तुम बरसौ चिरकाल तक, बुझे न मन की प्यास।।

सदैव श्री सद्गुरु शरण में.
मन्दाकिनी श्रीरामकिकरजी

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